Wednesday, March 2, 2011

अजब दिन थे मोहब्बत के.

अजब दिन थे मोहब्बत के...
अजब रातें थी चाहत की.....
कभी गर याद आ जाएँ....
तो पलकों की हथेली पर....
सितारे झिलमिलाते हैं.... !!!.
किसी की यादो में रात भर ....
अक्सर जागना...मामूल था अपना....
कभी गर नींद आ जाती .....
तो हम ए सोच लेते थे...
अभी तो वो हमारे वास्ते...
सोया नहीं होगा...
वो अभी रोया नहीं होगा......!!!.

तो फिर हम जागते थे ...
और उसको याद करते थे.....
अकेले बैठ कर वीरान
दिल आबाद करते थे.......!!!

हमारे सामने तारों की झुरमुट में....
अकेला चाँद होता था
जो उसके हुस्न के आगे बहुत ही मंद होता था......!!!

जब अगले रोज हम मिलते तो.....
तो गुज़री रात की हर ..
बेकली का जिक्र करते थे....
हर एक किस्सा सुनाते थे.....
कंहाँ किस बात पे दिल धड़का था बताते थे.....!!!

मैं जब कहता कि जानम ..
रात को....रोशन सितारों में..
.मैंने तुम्हारा नाम देखा था......!!!

तो वो कहती ......
तुम झूठ कहते हो.....
सितारे मैंने भी देखे थे.....
और उन रोशन सितारों में ......
तुम्हारा नाम लिखा था.......!!!

अजब मासूम लड़की थी.....
मुझे कहती थी लगता है......
कि अब तो अपने सितारे ..
मिल ही जायेंगे........!!!

मगर उस को खबर क्या थी......
किनारे मिल नहीं सकते.....
.मोहब्बत कि कहानी में...
मोहब्बत करने वालों के
"सितारे" मिल नहीं सकते.........!!!

3 comments:

  1. आपकी ये रचना तो दिल को छु गयी ....शब्दओं को खूबसूरती से पिरोया है आपने

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