Tuesday, May 24, 2011

तेरी आँखे उदास करती है....!!!



भीगी रातों में अक्सर...

पलकों पे अश्को के

चिराग सजा कर.....

आज भी 

न जाने क्यूँ.... 
तुझे,

आखें तलाश करती हैं..

तेरी आँखे 

उदास करती है....!!!

 
तन्हाइयों के 

दस्त -ए- वीरान में 

चाहतें,

दामन में समेटे 

वस्ल के

पुर नूर लम्हों में 

किसी 

मिलन की आस लेकर 

तुझे 

हसरतें तलाश करती हैं ......!!!




...तेरी आँखे 

उदास करती है.....!!!!




  

 







2 comments:

  1. कुछ पंक्तियाँ आपके ऑर मेरे बीच अक्सर घूमती हैं
    उन्ही को यहाँ लिख रही हूँ ..
    "प्रेम उस देश का पंछी है ...जहाँ पेड़ नही होते .....!"

    आपकी रचना बुहुत खूब है...!
    आप इसी प्रकार लिखते रहें..

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  2. रास्ते को ताकते रहोगे तो आंखे तो पथरायेंगी ही .उदास प्रेम की जगह कहीं और भी मन लगाना होगा

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