Thursday, June 9, 2011

और फिर नहीं आई.......!!



बिना  एक लफ्ज बोले वो गई 
और फिर नहीं आई.........
बा-जाहिर आम लहजे में 
कहा था मैंने जब उस से.......

बदल लो रास्ता अपना.....!!!
जुदा राहें.. यही कर लो.....!!!
हमारे चाहने -न चाहने से 
कुछ नहीं  होता....!!!
यही सच है  की हम दो...
मुख्तलिफ रास्तों के राही है......
तो फिर 
क्यों दिल की... माने हम....???

शुरू में 
मानता हूँ मै 
अजीयत दिल को पहुचेगी....
मगर फिर वक्त गुजरेगा.......
सभी जख्मो को भर देगा.....!!!

मेरे इस आम से लहजे पे वो..
एक पल को चौंकी थी.....!!! 

मेरी आँखों में... आँखे डाल के 
हैरत से..पूछा था....
ये सब जो कह रहे हो .......
खुद को ये समझा भी  पाओगे...???

बहुत ही जी ...कड़ा करके....
मै उस दम मुस्कुराया था...
बहुत खुद पे ..जबर करके 
मै उस से कह ये पाया था.......!!!

 
 मेरी तुम फ़िक्र ..रहने दो...
संभल जाऊँगा मै खुद ही....
सभी जख्मो को सी लूँगा....
भुला कर सारी बातों को......
अकेला भी... मै जी लूँगा....!!!

बहुत ही बे-यकीन  आँखों से  
उसने मुझको देखा...और......
बिना एक लफ्ज बोले वो.....
गई और फिर नहीं आई.....!!!

और अब  तर्क -ऐ-ताल्लुक को...
अगरचे उम्र बीती है.......

मगर इस दिल पे उसकी जात का 
जो नख्श कायम था....
कभी धुंधला नहीं होता.....!!!

मुझे महसूस होता है ..
कि जैसे मेरे कानो में.....
 वो अपनी बोलती आँखों से......
सरगोशी सी करती है.........!!!

"वो सब जो कह रहे थे........
खुद को वो समझा भी पाए हो....???


   
 







2 comments:

  1. heart touching. lines Anand ji... thanks for sharing.....:)

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  2. बहुत शुक्रिया सुमन जी......!!!

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