Tuesday, June 21, 2011

कुछ नहीं कहना

तुमने कहा था....
सब कुछ मुझ से कह देना..
कहा तो था....?
जाने क्या हुआ....
पर हमने..... 
अब सोच लिया है,

चाहे......

दिल की हर ख्वाहिश              
जिंदगी की आँख से...
अश्क बन कर बह जाये......
चाहे मुझ पर ,
मेरे इस बिस्तर पर....
घर की सारी दीवारें....
छत समेत गिर जाएँ...!!!

और बे-मुकद्दर हम...
इस मकान के मलबे में...
खुद ही क्यों न दब जाये....???

तुम से-----

"कुछ नहीं कहना" 







2 comments:

  1. oooh very bad..kah dena chahiye yaar...mann halka ho jata hai..or prblm ka solutn bhi milta hai kabhi-2...nice lines..

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  2. ........आँ .....हाँ...>>>>>>>>>>>>>>
    सब कहने की बाते है निहारिका...!!!!दिल बहलाने की अदा है....अआप नि जानते किन हालातों से पाला पड़ा.है...शुक्रिया....!!

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