Sunday, July 24, 2011

अजब पागल सी लड़की है.."सातवीं क़िस्त "


अजब पागल सी लड़की है..

मुझे हर ख़त में लिखती है...
"मुझे तुम याद करते हो?
तुम्हे मैं याद आती हूँ?
मेरी बाते सताती है...?
मेरी नींदें जगाती है?
मेरी आँखे रुलाती हैं....?
दिसंबर की सुनहरी धुप में

अब भी किसी खामोश रास्ते से....

जब भी तुम टहलते हो....
हवाओं की सदाओं में ....
मेरी आवाज़ आती है?
ठिठुरती सर्द रातों में...
तुम अब भी छत  पे जाते हो...??
फलक के सब सितारों को...
मेरी बातें सुनाते हो....?
किताबो से तुम्हारे इश्क में कोई कमी आई
या मेरी याद की शिद्दत से आँखों में नमी आई ??

अजब पागल सी लड़की है..

मुझे हर ख़त में लिखती है...


मैं जबाबन....
उसको लिखता हूँ...
सुनो जाना....
मेरी मशरूफियत देखो....
सुबह से शाम ऑफिस में..
चराग- ऐ-उमर  जलता है...


फिर उसके बाद                               
दुनिया की कई '
मजबूरियां...
पांव में बेड़ियाँ
डाल रखती है....
मुझे --बेफिक्र ,
चाहत से भरे
सपने नहीं..दिखते 
टहलने ,जागने...
सोने की
मोहलत  नहीं मिलती 
सितारों से मिले हुए  ....
अरसा हुआ
नाराज हूँ शायद
....

मगर ...तुम नाराज मत होना...
किताबों से शगफ़  मेरा 
अभी वैसी ही कायम है..
बस अब इतना हुआ...
उन्हें  अरसे में पढता हूँ...!!

तुम्हे किसने कहा पगली....??
 तुम्हे मैं याद करता हूँ...?

मैं खुद को भुलाने की,
मुस्ससल
जुस्तजू में हूँ......!!!
तुम्हे मैं याद आने की
मुस्ससल
जुस्तजू में हूँ....!!!!

मगर ए जुस्तजू मेरी....
बहुत नाकाम रहती है....
मेरे दिन रात में अब भी...
तुम्हारी शाम रहती है.....!!

मेरे लफ्जों की हर ख्वाहिश...
तुम्हारे नाम आती है...?
तुम्हे किसने कहा पगली.......???
मुझे तुम याद आती हो.....??

..पुरानी बाते रहने दो ...
जो अक्सर लोग गुनगुनाते है.........
कि उन्हें हम याद करते हैं
जिन्हें हम भूल जाते हैं....!!!

अजब पागल सी लड़की हो ?
मेरी 
मशरूफियत देखो जाना....
तुम्हे दिल से भुलाऊँ तो
तुम्हारी याद आये ना ?
तुम्हे दिल से भुलाने की
मुझे फुर्सत नहीं मिलती...
और इस मशरूफ जीवन में...
तुम्हारे ख़त  का एक..." जुमला"

कि 
"तुम्हे मैं याद आती हूँ..??."


मेरी चाहत की सिद्दत में....
कभी कमी होने नहीं देता....
बहुत राते जगाता है....
मुझे सोने नहीं देता...!!!
सो अगली बार अपने ख़त में
ये "जुमला" नहीं लिखना !!!

अजब पागल सी लड़की है..
मुझे फिर भी कहती  है...

मुझे तुम याद करते हो ...?
तुम्हे मैं याद आती हूँ...?.

8 comments:

  1. मगर ए जुस्तजू मेरी....
    बहुत नाकाम रहती है....
    मेरे दिन रात में अब भी...
    तुम्हारी शाम रहती है.....!!

    बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ ...कोमल से भावों से ओट प्रोत सुन्दर रचना

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  2. बहुत बहुत शुक्रिया...संगीता जी....!!

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  3. आज 25- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....


    ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
    ____________________________________

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  4. वाह बहुत ही खूबसूरत अन्दाज़-ए-बयाँ है।

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  5. behtarin..bahut hi khubsurat andaj mein likhi rachna..apne blog pe amantran ke sath

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  6. यह तस्वीर जो आपने लगायी है, मुझे बड़ी प्यारी है....असीम.. एहसास में भींगी है आपकी कविता.....लास्ट की चार लाईन्स जबरदस्त है....!

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  7. beautiful. thankyou

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  8. बहुत शुक्रिया......!!!
    डॉ..आशुतोष जी ...
    संजय भास्कर जी ....!!!
    Anonymous ji
    वंदना जी
    संगीता स्वरुप जी
    आभार.... और //प्रणाम\\

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