Sunday, July 17, 2011

...भूलना... इतना आसान नहीं ....!!!

भूलना ,
इतना आसन नहीं
कि मै,
तुझे भूल जाऊं  ....!!!

आज फिर,
दिल बहुत घबराया....
मैंने
उसको ये समझाया....
कि ...भूलना...
इतना आसान नहीं ....!!!

तू अगर,
दिल की धड़कन होती,
तो मेरा दिल,
धडकना भूल जाता...!!!

तू अगर
साँसों में जी रही  होती,
तो ,सांसों कि डोर तो
होती ही कच्ची है.....!!!

तू अगर
मेरे ख्यालों की मंजिल होती..
तो मै
होशो-हवाश से
बेगाना हो जाता ....!!!

मगर अफ़सोस....!!

तू मेरी
रूह की  हमजाद है....!!
उसमे...
शुरू से लेकर
आखिर तक आबाद है....!!!

और.....!!!
रूह कभी...
फ़ना होती नहीं....
कभी मिटटी में
जाकर सोती नहीं,
कभी ,
दिल की
तरह रोती नहीं......!!!

जब ,
रूह से ताल्लुक
टूट सकता नहीं.....
और खुदा भी,
उसको
भूल सकता नहीं.....

तो...
ए...करार -ये -दिल
आज तू,

इतना जान ले
कि.....

"भूलना इतना आसन नहीं......!!!"

8 comments:

  1. खूबसूरत एहसास ...अच्छी प्रस्तुति

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  2. "भूलना इतना आसन नहीं" - बहुत खूब, अति सुंदर

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  3. भूलना सचमुच आसान नहीं .अतिसुंदर.

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  4. तू मेरी रूह की हमजाद है
    उसमे सुरु से लेकर अंत तक आबाद है
    बेहतरीन प्रस्तुति ...

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  5. wakayi

    bhoolna itna asaan nahi
    uff....

    Naaz

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  6. यह बात भी सच है कि भूलना कोई आसान बात नहीं है। इन्‍सान की पूरी जिन्‍दगी में यादों के सिवा रह भी क्‍या जाता है?

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  7. सुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए .

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  8. अति सुंदर बहुत अच्छा लगा।

    मेरा भी एक ब्लॉग है, मुझे आसा है कि आपको ये अच्छा ही लगेगा।
    http://www.gopubisht.blogspot.com/

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