Monday, December 5, 2011

अजब पागल सी लड़की है...!!!(चौथी किस्त)

अजब पागल सी लड़की है
दिसम्बर
जब भी आता है
वो पगली फिर से 
 बीते  मौसम को याद करती है....


पुराने कार्ड पढ़ती है 
कि जिसमे 
उसने लिखा था
मै लौटूंगा  दिसम्बर में....!!!

नए कपडे बनाती है...
वो सारा  घर 
सजाती है ...
दिसम्बर के 
हर एक दिन को 
वो गिन गिन के
बिताती है
जूं ही १५
गुजरती है 
वो कुछ कुछ टूट जाती है
मगर फिर भी
पुरानी एल्बम खोल के
माझी को बुलाती है

नहीं मालूम ये उस को 
कि बीते वक्त की
ख्वाहिशें ...
बहुत तकलीफ देती है ...
मगर वो नादान
महज दिल को जलाती है ....!!!

यूँ ही 
दिन बीत जाते है....
दिसम्बर लौट जाता है...!!!
मगर
वो खुशफहम लड़की 
दुबारा से  कलेंडर में 
दिसम्बर के पन्ने को
नाजुक ऊँगली से मोड़कर

फिर से दिसम्बर के 
ख्याल  में डूब जाती है
कि आखिर उसने  लिखा था ...

"मै लौटूंगा दिसम्बर में....!!!"

अजब पागल सी लड़की है...!!!

15 comments:

  1. उफ़ मोहब्बत की इंतेहा…………।

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  2. बहुत संवेदनशील रचना ... हर लफ्ज़ मन से उकेरा है .

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  3. bahut hi sunder aas ke komal ehsaas ukere hain ...
    bahut sunder rachna ...badhai..

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  4. इस प्यार, इस इंतज़ार को समझना आसान ही नहीं ... जब कुछ न समझ आए तो 'पागल ' कह देना आसान लगता है ...

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  5. वाह ...बहुत खूब ।

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  6. प्यार, प्रतीक्षा और उम्मीद की अद्भुत बानगी है ! बहुत ही सुन्दर रचना ! बहुत बहुत बधाई !

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. कहते हैं इंतजार खूबसूरत होता है... किन्तु आपने उसी इंतजार के उस पहलू को दिखाया है जो बेहद बदसूरत है... कभी खत्म ना होने वाला ऐसा इंतजार खुदा किसी को ना दे...

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  9. intajar ki dardbhari tasvir.. ko bahut hi acchi tarah se vyakt kiya hai
    gahare bhavo ki sundar abhivyakti..

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  10. खूबसूरत इंतजार दिसंम्बर का मै फिर लौट आउगी..उम्दा पोस्ट
    मेरे पोस्ट पर आइये इंतजार है,...

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  11. अहसासों की कहानी हैं.... भावमय करते शब्‍दों का संगम....

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  12. वो अजब पागल से लड़का..
    जो चला जाता है है वादा करके.
    की "मैं लौटुगा दिसम्बर में "...
    वो क्या जाने कैसे लगता है...
    इंतज़ार में घडी की टिक टिक को गिनना..
    वो क्या जाने कैसा लगता है..
    इन्तजार में अपने ही दिल को समझाना..
    की वो आएगा.. वो जरुर आएगा..
    वो अजब पागल सा लड़का...
    जो वादा तो कर गया..
    पर निभा नहीं पाया..
    ........................

    Jai Mata Ki

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  13. bahot bhawuk karti hui.......sunder rachna.

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  14. tune dil mere toda...kahin ka na choda...sanam..bebafa....o sanam bebafa....
    bahut khoobsurat sabdon ki rachna....!!!

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