Sunday, December 11, 2011

शाख की "गुलाब"

सुनो...!!
मेरी दास्तान का
उरोज था...
तेरी
नरम पलकों की छांव में .,..!!!
मेरे साथ था
तुझे जागना...
तेरी आँख कैसे झपक गई....???

तुम मिले भी तो
भला क्या मिले...?
वही दूरियां
वही फासले....!!!

न कभी
हमारे कदम बढे
न कभी तुम्हारी
झिझक गई.....!!!

तेरे हाथ से
मेरे होंठ .....तक
वही इन्तेजार की प्यास है....!!!

मेरे नाम की जो
शराब थी ...
कही रास्ते में छलक गई....!!!
तुझे
भूल जाने की कोशिशे....
कभी
कामयाब न हो सकी..!!!

तेरी याद
शाख की "गुलाब" है...
जब
हवा चली ,
लहराई
और.....

"महक"  गई........!!!

20 comments:

  1. सुनो..
    मैं कहा सोई थी..
    मैं तो बस आंखे बंद किये..
    बेठी थी..!!
    बेठी थी ..बस तुम्हे ही सोच कर..
    तुम्हारे काँधे पे सिर रख कर..
    की तुम पास हो मेरे... साथ हो मेरे...
    बेठी थी . सारे गम भुला कर..!!

    ReplyDelete
  2. सुनो..
    मैं कहा सोई थी..
    मैं तो बस आंखे बंद किये..
    बेठी थी..!!
    बेठी थी ..बस तुम्हे ही सोच कर..
    तुम्हारे काँधे पे सिर रख कर..
    की तुम पास हो मेरे... साथ हो मेरे...
    बेठी थी . सारे गम भुला कर..!!

    ReplyDelete
  3. सुन्दर कविता, पढ़कर आनन्द आ गया।

    ReplyDelete
  4. तेरे हाथ से
    मेरे होंठ .....तक
    वही इन्तेजार की प्यास है....!!!

    Very touching.....!

    ReplyDelete
  5. http://bulletinofblog.blogspot.com/2011/12/17.html

    ReplyDelete
  6. aapki yah rachna pustak mein li jaye to koi aapatti?

    ReplyDelete
  7. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़

    ReplyDelete
  8. मेरी टिप्पणी कहाँ गयी ? स्पैम में देखिएगा

    ReplyDelete
  9. वाह!!!!!!!!!!
    बेहद खूबसूरत.....
    वाकई...

    ReplyDelete
  10. वाह ..बहुत बढिया।

    ReplyDelete
  11. behad bhaawpurn evam komal ehsaas ke
    sath likhi gai ye rachna man ko chooti hai...!

    ReplyDelete
  12. लिंक गलत देने की वजह से पुन: सूचना

    आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12- 01 -20 12 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज... उठ तोड़ पीड़ा के पहाड़

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर भावमयी रचना....

    ReplyDelete
  14. बेहद सुंदर भावों से सजी खूबसूरत प्रस्तुति ...

    ReplyDelete
  15. बहुत खूब ... सूखी प्यास जैसे पानी को तरस रही है ...
    शब्दों से जादूगरी की है आपने ...

    ReplyDelete
  16. वाह बेहद खूबसूरत रचना !

    ReplyDelete
  17. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

    ReplyDelete
  18. man ke bhaavon ko sundarta se piroya hai.

    shubhkamnayen

    ReplyDelete