हवाएं सर्द जनवरी की
टूटे दिल के दर पे फिर...
दस्तक देने आयी हैं...!!!
फिर से खुश्क हवाओं में
भटकती हुई सदायें है....!!!
सुलझे नहीं हालत अभी....
वोही आस में लिपटी हुई
दुआएं हैं...!!!
ऐ जिंदगी
जरा गिनवा मुझको ...
कितनी मेरी खताएं हैं....???
जनुवरी के दरवाजे
मुझे बता...
इस बरस की कैसी
सजाएं है....???
जनवरी की सर्द हवाएं और उस पर ऐसी कविता ... सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteखूबसूरत रचना सर्द हवाओं की तरह भेदती हुई !
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