Wednesday, April 18, 2012

अधुरा मै भी हूँ...!!!


सुनो जाना .....!!!
किसी
को तुमने चाहा था
वो तुम्हे मिल नहीं पाया
किसी को मैंने चाहा था
वो मुझे मिल नहीं पायी...!!!

अधूरे  तुम भी हो अब तक
अधुरा मै भी हूँ अब तक  
अधूरे पन की तन्हाई
तुम्हे भी डसती रहती है 
अधूरे पन की तन्हाई
मुझे भी डसती रहती है ....!!!

अधूरे
पन से मैं भी अब
निकलना चाहता हूँ बस...
अधूरेपन से तुम भी अब
निकलना चाहते हो ....??

तुम्हारे और मेरे सब..
मसाइल एक जैसे है...
सभी गम एक जैसे है
सभी दुःख एक जैसे है....!!!

सुनो जाना ...
चलो एक काम करते है ...
मुझे तुम वैसे ही चाहो...
की जैसे उस को चाहा था ....
तुम्हे मै वैसे ही चाहूं ...
की जैसे उसको चाहा था....!!!


चलो कि अब मिलजुल कर
नया एक घर बसाते है
मोहब्बत के दिए को फिर ..

"
मोहब्बत से जलाते है...!!!"

6 comments:

  1. जब दोनों की मंजिल एक ही है तो क्यों न साथ चलें ...
    गहरे एहसास ...

    ReplyDelete
  2. mohabbat ka diya phir mohabbat se jale...kyonki pahle jo hua tha wo pyar nahi tha..wo asakti thee..pyar me kabhi adhoore pan ka ahsaas nahi hota...pyaar tabhi hota hai jab ham mai ho jaaye..aaur jab ais hoga tab adhurepan ka sawal hee nahi...diya aaur baati mile mil ke jale ek sath..ab hogi muhaabat..behtari sadar badhayee aaur sadar amantran ke sath

    ReplyDelete
  3. मनोभावों का अनुपम निरूपण।
    बहुत अच्छी रचना पढ़ने को मिली।

    ReplyDelete
  4. anupam sundar bhav .mere blog par aapka svagat hae nai post par avashya aayen .aabhar.

    ReplyDelete
  5. Nice Lines Anand Ji.. Keep it up..

    ReplyDelete