फिर रात हुई फिर चाँद निकला
फिर
याद
ने तेरी दस्तक दी
खुसबू
की झोंके चल निकले
हवा
ने कोई सरगोशी की..!
कुछ आंसू मेरी आँखों से
बारिश
की सूरत बह निकले .
एक नाम लिखा दीवारों पर
जो खुशबू बन के बिखर गया ...!
एक सपना देखा पिछले पहर
जो नींदों में ही खो गया ,,
आधी जगी आधी सोई
लफ्जो की महक फ़ैल गई ...!
मैं तिनका तिनका बिखर गया
जब याद ने तेरी दस्तक दी.......!!!
वाह वाह
ReplyDeleteकौशिक साहब शुक्रिया
ReplyDeleteमैं तिनका-तिनका बिखर गया, जब याद ने तेरी दस्तक दी.
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