जो मुझ से
पूछती हो तुम...
कि
पूछती हो तुम...
कि
"मै तुम्हारी हूँ क्या....???
बताओ....
तो ..
बताओ....
तो ..
जाना ....!!!
खुद ही सोचो ...
तुम एक पल को ....!!!
तुम एक पल को ....!!!
भला मै कैसे
तुम्हे बताऊँ...
तुम्हे बताऊँ...
"कि मेरा तुम से
रिश्ता है ....
रिश्ता है ....
..जो अपने साये से है
शजर का ...!!!
शजर का ...!!!
वो ही
जो गुलों से है महक का ....
किसी की आँखों के
मस्त डोरों से
उसके महबूब की
झलक का ......!!!
जो गुलों से है महक का ....
किसी की आँखों के
मस्त डोरों से
उसके महबूब की
झलक का ......!!!
मै हूँ बदन...
तुम उसकी जान हो...
लहू कि सूरत में
मेरी रगों में ..
हर वक्त रवां दवां हो....!!!
तुम उसकी जान हो...
लहू कि सूरत में
मेरी रगों में ..
हर वक्त रवां दवां हो....!!!
मकीन हूँ मै
मकान तुम हो....
जमीन हूँ मै ..
तो आसमान तुम हो.....!!
मकान तुम हो....
जमीन हूँ मै ..
तो आसमान तुम हो.....!!
वो ही
ताल्लुक है तुमसे मेरा....
जो दिल से है
धडकनों का .....
ताल्लुक है तुमसे मेरा....
जो दिल से है
धडकनों का .....
जो खुमार से है...
मयकशों का .....!!!
शायर से है
शायरी का......!!!
मयकशों का .....!!!
शायर से है
शायरी का......!!!
वो ही रिश्ता ...
खुश किस्मती से..
अपने दरम्यान भी है......
खुश किस्मती से..
अपने दरम्यान भी है......
बताओ जाना....???
इतना काफी है...?
इतना काफी है...?
कि
"और कुछ भी तुम्हे बताऊँ...??
"और कुछ भी तुम्हे बताऊँ...??