Friday, October 28, 2011

" अजब दिन थे मोहब्बत के "(दूसरी किस्त)

अजब दिन थे मोहब्बत के...
अजब रातें थी चाहत की.....
कभी गर याद आ जाएँ....
तो पलकों की हथेली पर....
सितारे झिलमिलाते हैं.... !!!. 


हमें अब याद आता है 
बहुत मासूम थे हम भी 
कि हम 
एक अजनबी को 
उम्र की हँसीं  राहों में  
सहारा मान बैठे थे......!!!

 
कि उसके
चाँद से चेहरे को
अपनी खुशनसीबी का
सितारा मान बैठे थे....!!!

हमें मालूम ही कब था ?
कि दश्त-ऐ- जिंदगी में 
सहारे छूट जाते है...
कभी ऐसा भी होता है
नजर जिन पर  ठहरती है ..
वही पे आसमानों से
सितारे   टूट जाते हैं ......!!!

"अजब दिन थे मोहब्बत के
अजब राते थी चाहत की...!!!"

Sunday, October 16, 2011

अजब पागल सी लड़की है....!! (तीसरी किस्त...)


 अजब पागल सी लड़की है....!! 
 बहुत खामोश रहती है..
किसी से कुछ नहीं कहती...
मगर जब  ,
मुस्कुराती है....
बहारे आ सी जाती है...!!!
उसकी..
एक पल की उदासी से..
खिजाएँ 
आने लगती हैं...
कि जैसे..हर मौसम..
इशारे उसके 
तकता हो...!!! 
मगर एक दिन...
मेरे बस इतना कहने पर...
कि हम अब...
"मिल न पाएंगे"  
वो इतना 
टूट के रोई.......
कि समंदर सोचता होगा....
उसकी आँखों में 
या 
मुझमे....??
पानी  किसमे जादा है....???
अजब पागल सी लड़की है....!!!

Sunday, October 9, 2011

" वो हम हैं"....!!!

सुनो....!!!   

हथेली सामने रखना ;
कि सब आंसूं
गिरें उसमे..
जो रुक जायेगा होंठों पर समझ जाना
कि "..वो .. हम हैं"....!!!

जो चल जाये ..हवा ठंडी,
तो आँखे बंद कर लेना...;
जो झोंका
तेज हो सबसे...
समझ जाना
कि ..."वो हम हैं".....!!!

जो जादा
याद आयें हम ...
तो रो लेना जी भर के....
अगर हिचकी कोई आये;
समझ जाना
...." वो हम हैं"....!!!

मुझे शायद        
भुला दो तुम....
अगर तुम भूलना चाहो....
मगर
जब सांस लेना तुम...
समझ जाना
कि .."वो हम हैं"......!!!