अजब पागल सी लड़की है....!!
मुझे हर रोज कहती है......
बताओ ..... कुछ नया लिखा...?
मैं जब भी उस से कहता हूँ...
कि हाँ...एक कविता लिखी है...
मगर शीर्षक ...देना बाकी है.....!!!
बहुत बेचैन होती है......
वो कहती है सुनाओ..
मैं इसे अच्छा सा शीर्षक दूंगी.....!!!
ओ मेरी कविता सुनती है
और उसकी बोलती आँखे...
किसी मिसरे कि किश्ती पे
यूँ मुस्कुराती हैं.....
मुझे लफ्जो कि किश्ती टूटती महसूस होती है.....!!!
वो मेरी कविता को एक
अच्छा सा शीर्षक देती है.....!!!
और इसके आखिरी मिसरे के पीछे..
एक अदा ....एक मासूमियत से..,
वो अपना नाम लिखती है.......!!!
मैं कहता हूँ
सुनो......!!
ए कविता मेरी है फिर.....
तुम्हे क्यूँ अपने नाम से मशहूर करना है......?
मेरी ऐ बात सुनकर
उसकी आँखें मुस्कुराती हैं...
और कहती हैं.....
बड़ा सादा सा रिश्ता है.......
"कि जैसे तुम मेरे हो....
...ए कविता भी भी तो मेरी है......!!"
अजब पागल सी लड़की है.....!!!
kya likhatay ho tum sakha, hum padtay haito padtay he reh jaatay hai,
ReplyDeletefir say man hota hai eik baar, do baar teen baar fir say pad loo,
aisa kaisay tumhari bhavnaiay mann ko choo jaati hai. hum hairaaan hai hum padtay hai to padtay he reh jaatay hai.
bahut he sunder likha hai aapnay Anandji
ReplyDeletekaisay likh letay ho tum aisa, hum padtay hai to padtay he reh jaatay hai,
dil ko choo letay ho aapni achooti bhavnaao say,
kaisay keh jaatay ho man ki kitni unjhano ko bhi itnay sedhay say,
ki hum padtay hai to padtay he reh jaatay hai..:)
beautiful....!!!!
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