Saturday, February 26, 2011

बताओ कैसा लगता है ...?

बताओ कैसा लगता है ...?
किसी को
पाके खो देना...?
किसी के
साथ तो चलना ...
मगर उसका
न हो पाना....?
खुद को
कोसते रहना.....!!!
मगर
उसको ना कुछ कहना..
खुद ही
गिरना... संभलना...?
हँसना और
रो देना
बताओ
कैसा लगता है...?
खिजा की सख्त सर्दी में
हिज्र की
लम्बी रातों में
किसी की याद में रोना
किसी को
सोचते सोचते
अपनी आँखें
बंद करना....?
और
अंधेरों में चले जाना ..
बताओ
कैसा लगता है.....? 
नयी जगहों
में रंग जाना
मगर किसी को ना भूल पाना
बताओ...?
कैसा लगता है...????

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर कृति आनंद जी ...

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  2. बताओ कैसा लगता है. खुद को टूटने के बाद जोड़ना.....
    बताओ कैसा लगता है... टूटे हुए सपनो को समेटना.......
    बताओ............????

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