सुनो जाना....!!!
आज ऐसा करते हैं ....!!!
बा-सादा लफ़्ज़ों में
वजह -ऐ- जिंदगी कह के
वसल की जरुरत पर आज ऐसा करते हैं ....!!!
बा-सादा लफ़्ज़ों में
वजह -ऐ- जिंदगी कह के
फिर से जोर देते हैं ....
आज ऐसा करते हैं
ज़िक्र वही करते हैं...
नाम और देते हैं....!!!
जब्त के किनारों से
दर्द अपना लिपटा है
टूटते किनारे अब
दर्द और देते हैं...
आज ऐसा करते है....
दर्द से उलझते है
जब्त छोड़ देते हैं....!!!
तार तार दामन को
खार खार राहों में
रंजिशें भुला के हम
आके जोड़ देते हैं ....
आज ऐसा करते है
खुद नहीं पलटते हैं...
राहें मोड़ देते है.....!!!
सब्ज सब्ज मौसम में
लाल लाल आँखों में
ख्वाब की रगों से हम
खून निचोड़ लेते हैं ..
आज ऐसा करते हैं....
ये भी कर गुजरते हैं
ख्वाब तोड़ देते हैं....!!!
आ कि अब दुआओं को
मातमी रिदाओं में
फिर से कर के अलविदा
मौका और देते हैं ...
आज ऐसा करते हैं....
दरिया में उतरते हैं...
और सब ....
"रब" पे छोड़ देते हैं.....!!!
nice lines...Anand ji..
ReplyDeleteKeep it up.