सुनो....!!!
लवों की
सिरसिराहट से
बदन के
चूर होने तक...
मै तुझ को
इस तरह चाहूं....
कि..
मेरी सांस रुक जाए .....!!!
खताओं पर खताएं हो...
न हो कुछ बात
कहने को...
मै तुझ में
यूँ समां जाऊं...
कि मेरी सांस रुक जाए......!!!
न हिम्मत
तुझ में हो बाकी....
न हिम्मत
मुझ में हो बाकी ....
मगर
इतना करीब आऊँ...
कि मेरी सांस रूक जाए...!!!
तेरे होठों पे
जब रखूं ...
मै अपने होंठ कुछ ऐसे...
या तेरी प्यास
बुझ जाये...
या
" मेरी सांस रुक जाए....!!!"
लवों की
सिरसिराहट से
बदन के
चूर होने तक...
मै तुझ को
इस तरह चाहूं....
कि..
मेरी सांस रुक जाए .....!!!
खताओं पर खताएं हो...
न हो कुछ बात
कहने को...
मै तुझ में
यूँ समां जाऊं...
कि मेरी सांस रुक जाए......!!!
न हिम्मत
तुझ में हो बाकी....
न हिम्मत
मुझ में हो बाकी ....
मगर
इतना करीब आऊँ...
कि मेरी सांस रूक जाए...!!!
तेरे होठों पे
जब रखूं ...
मै अपने होंठ कुछ ऐसे...
या तेरी प्यास
बुझ जाये...
या
" मेरी सांस रुक जाए....!!!"
बहुत खूब .... प्रेम से लबरेज रचना ॥
ReplyDeletesundar pyarbhari rachana...
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