अजब दिन थे मोहब्बत के...
अजब रातें थी चाहत की.....
कभी गर याद आ जाएँ....
तो पलकों की हथेली पर....
सितारे झिलमिलाते हैं.... !!!.
अजब रातें थी चाहत की.....
कभी गर याद आ जाएँ....
तो पलकों की हथेली पर....
सितारे झिलमिलाते हैं.... !!!.
हमें अब याद आता है
बहुत मासूम थे हम भी
कि हम
एक अजनबी को
उम्र की हँसीं राहों में
सहारा मान बैठे थे......!!!
चाँद से चेहरे को
अपनी खुशनसीबी का
सितारा मान बैठे थे....!!!
हमें मालूम ही कब था ?
कि दश्त-ऐ- जिंदगी में
सहारे छूट जाते है...
कभी ऐसा भी होता है
नजर जिन पर ठहरती है ..
वही पे आसमानों से
सितारे टूट जाते हैं ......!!!
"अजब दिन थे मोहब्बत के
अजब राते थी चाहत की...!!!"
आज 29- 10 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
कोमल भावनाओं से गुंथी अच्छी रचना
ReplyDeleteआह! हकीकत बयाँ कर दी।
ReplyDeletekhubsurat lines
ReplyDelete..बहुत प्रभावशाली रचना ...बेहतरीन अंदाज़ बात कहने का
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