सुनो जाना .....!!!
किसी को तुमने चाहा था
किसी को तुमने चाहा था
वो तुम्हे मिल नहीं पाया
किसी को मैंने चाहा था
वो मुझे मिल नहीं पायी...!!!
किसी को मैंने चाहा था
वो मुझे मिल नहीं पायी...!!!
अधूरे तुम भी हो अब तक
अधुरा मै भी हूँ अब तक
अधूरे पन की तन्हाई
तुम्हे भी डसती रहती है
मुझे भी डसती रहती है ....!!!
अधूरे पन से मैं भी अब
निकलना चाहता हूँ बस...
अधूरेपन से तुम भी अब
निकलना चाहते हो न....??
तुम्हारे और मेरे सब..
मसाइल एक जैसे है...
सभी गम एक जैसे है
सभी दुःख एक जैसे है....!!!
सुनो जाना ...
चलो एक काम करते है ...
मुझे तुम वैसे ही चाहो...
की जैसे उस को चाहा था ....
तुम्हे मै वैसे ही चाहूं ...
की जैसे उसको चाहा था....!!!

नया एक घर बसाते है
मोहब्बत के दिए को फिर ..
"मोहब्बत से जलाते है...!!!"
जब दोनों की मंजिल एक ही है तो क्यों न साथ चलें ...
ReplyDeleteगहरे एहसास ...
प्यारे एहसास
ReplyDeletemohabbat ka diya phir mohabbat se jale...kyonki pahle jo hua tha wo pyar nahi tha..wo asakti thee..pyar me kabhi adhoore pan ka ahsaas nahi hota...pyaar tabhi hota hai jab ham mai ho jaaye..aaur jab ais hoga tab adhurepan ka sawal hee nahi...diya aaur baati mile mil ke jale ek sath..ab hogi muhaabat..behtari sadar badhayee aaur sadar amantran ke sath
ReplyDeleteमनोभावों का अनुपम निरूपण।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना पढ़ने को मिली।
anupam sundar bhav .mere blog par aapka svagat hae nai post par avashya aayen .aabhar.
ReplyDeleteNice Lines Anand Ji.. Keep it up..
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