Sunday, September 30, 2012

सुनो हमसफ़र....

सुनो हमसफ़र....
साथ तुम्हारा देना है....
और साथ तुम्हारा पाना है ....
पथ्थरों के इस शहर में....
एक कांच का घर बनाना है .....
आसमानों  पे
जो रिश्ता बना
उसे दुनिया में निभाना है....!!!

तुम रूठ के मुझ से मत जाओ ....
मुझे साथ तुम्हारे आना है ....
तुम
लौट   के 
वापस    आ जाओ

मुझे
जिंदगी तुम्हे बनाना  है ....!!!

No comments:

Post a Comment