उसे ....
मैंने ही लिखा था कि
लहजे
बर्फ हो जाएँ तो
पिघला नहीं करते ....!!!परिंदे
डर के उड़ जाएँ तो
फिर लौटा नहीं करते ..
उसे मैंने ही लिखा था कि यकीन उठ जाए तो
शायद कभी वापस नहीं आता ....!!!
हवाओं का
कोई तूफ़ान
कभी बारिश नहीं लाता ...
उसे मैंने ही लिखा था .....कि शीशा टूट जाए तो ....
कभी फिर जुड़ नहीं पाता ... !!!!
उसे कहना
वो अधूरा ख़त ....
मैंने ही लिखा था .....!!!
और
उसे ये भी कहना कि
दीवाने
कभी ....मुकम्मल ख़त नहीं लिखते .....!!!
मैंने ही लिखा था कि
लहजे
बर्फ हो जाएँ तो
पिघला नहीं करते ....!!!परिंदे
डर के उड़ जाएँ तो
फिर लौटा नहीं करते ..
उसे मैंने ही लिखा था कि यकीन उठ जाए तो
शायद कभी वापस नहीं आता ....!!!
हवाओं का
कोई तूफ़ान
कभी बारिश नहीं लाता ...
उसे मैंने ही लिखा था .....कि शीशा टूट जाए तो ....
कभी फिर जुड़ नहीं पाता ... !!!!
उसे कहना
वो अधूरा ख़त ....
मैंने ही लिखा था .....!!!
और
उसे ये भी कहना कि
दीवाने
कभी ....मुकम्मल ख़त नहीं लिखते .....!!!
वाह....
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत!!!
अनु
बहुत भावपूर्ण खुबसूरत रचना
ReplyDeleteLATEST POST सुहाने सपने
my post कोल्हू के बैल