मुझे
सब लोग कहते हैं ....
मोहब्बत
जानते हो तुम ??
मोहब्बत
मानते हो तुम ....???
मोहब्बत
आग जैसी है ....
जो जलती है
न बुझती है ...
मोहब्बत
गीत जैसी है
कई साजों पे
मबनी है .....!!!!
मोहब्बत
रंगों की तितली .....
जो
खुशबू ढूंढ लेती है ....!!!
मगर
मुझको ये लगता है ....
ये सारे लफ्ज़ झूठे हैं .....
अगर
सच है तो
बस ये है ....
मोहब्बत आप जैसी है ....!!!
सब लोग कहते हैं ....
मोहब्बत
जानते हो तुम ??
मोहब्बत
मानते हो तुम ....???
मोहब्बत
आग जैसी है ....
जो जलती है
न बुझती है ...
मोहब्बत
गीत जैसी है
कई साजों पे
मबनी है .....!!!!
मोहब्बत
रंगों की तितली .....
जो
खुशबू ढूंढ लेती है ....!!!
मगर
मुझको ये लगता है ....
ये सारे लफ्ज़ झूठे हैं .....
अगर
सच है तो
बस ये है ....
मोहब्बत आप जैसी है ....!!!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (30-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बहुत सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
ReplyDeleteपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
सुन्दर एहसास की अभिव्यक्ति
ReplyDeletelatest post कोल्हू के बैल
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