कोई
गुज़रा हुआ लम्हा ...
कोई
बीती हुई सौगात ...
तुम्हारे
दिल के बंद दरीचे में
....चली आये ..
तुम्हे
ऐसा लगे ...
कि मुद्दत बाद ..
तुम्हे
धीमी सी
मीठी सी
कसक
महसूस होती है ....
तुम्हें
कुछ याद आता है
तो
मेरे भूले हुए साथी ..
मेरे ना`मेहरबान ...
पलट आना ...!!!
पलट आना....!!!
कि मेरी सामा `तें
अब भी
तुम्हारी आहटों की मुन्तजिर हैं ....!!!
गुज़रा हुआ लम्हा ...
कोई
बीती हुई सौगात ...
तुम्हारे
दिल के बंद दरीचे में
....चली आये ..
तुम्हे
ऐसा लगे ...
कि मुद्दत बाद ..
तुम्हे
धीमी सी
मीठी सी
कसक
महसूस होती है ....
तुम्हें
कुछ याद आता है
तो
मेरे भूले हुए साथी ..
मेरे ना`मेहरबान ...
पलट आना ...!!!
पलट आना....!!!
कि मेरी सामा `तें
अब भी
तुम्हारी आहटों की मुन्तजिर हैं ....!!!
बहुत खूबसूरत खयाल ।
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना...
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