कुछ पंछी
झुण्ड में उड़ते हों...
और रास्ता भी
कुछ मुश्किल हो...
कुछ दूर उफ़ाक
पे मंजिल हो ........
एक पंछी
घायल हो जाए....
और बेदम
हो के गिर जाये....!!!
तो ,
रिश्ते- नाते
प्यारे सब...
कब किसकी खातिर
रुकते हैं....???
इस दुनिया
की है
रीत यही .......
जो साथ चलो
तो साथ बहुत ....
जो रुक जाओ
तो तुम तन्हा हो....!!!
झुण्ड में उड़ते हों...
और रास्ता भी
कुछ मुश्किल हो...
कुछ दूर उफ़ाक
पे मंजिल हो ........
एक पंछी
घायल हो जाए....
और बेदम
हो के गिर जाये....!!!
तो ,
रिश्ते- नाते
प्यारे सब...
कब किसकी खातिर
रुकते हैं....???
इस दुनिया
की है
रीत यही .......
जो साथ चलो
तो साथ बहुत ....
जो रुक जाओ
तो तुम तन्हा हो....!!!
रुक जाओ तो तुम तन्हा हो .... सटीक बात ... सुंदर भाव
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनायें ..
गहन भाव दर्शाती सुन्दर अभिव्यक्ति....
ReplyDeletesach me kaun rukta hai yahan kisi ke liye..sunder prastuti sadar badhayee aaur amantran ke sath
ReplyDeleteकदम रुके न राही, मंजिल आने तक तू चलता चल...
ReplyDeleteपिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति.. के लिए बधाई स्वीकारें.