भूलना ,
इतना आसन नहीं
कि मै,
तुझे भूल जाऊं ....!!!
आज फिर,
दिल बहुत घबराया....
मैंने
उसको ये समझाया....
कि ...भूलना...
इतना आसान नहीं ....!!!
तू अगर,
दिल की धड़कन होती,
तो मेरा दिल,
धडकना भूल जाता...!!!
तू अगर
साँसों में जी रही होती,
तो ,सांसों कि डोर तो
होती ही कच्ची है.....!!!
तू अगर
मेरे ख्यालों की मंजिल होती..
तो मै
होशो-हवाश से
बेगाना हो जाता ....!!!
मगर अफ़सोस....!!
तू मेरी
रूह की हमजाद है....!!
उसमे...
शुरू से लेकर
आखिर तक आबाद है....!!!
और.....!!!
रूह कभी...
फ़ना होती नहीं....
कभी मिटटी में
जाकर सोती नहीं,
कभी ,
दिल की
तरह रोती नहीं......!!!
जब ,
रूह से ताल्लुक
और खुदा भी,
उसको
भूल सकता नहीं.....
तो...
ए...करार -ये -दिल
आज तू,
इतना जान ले
कि.....
"भूलना इतना आसन नहीं......!!!"
खूबसूरत एहसास ...अच्छी प्रस्तुति
ReplyDelete"भूलना इतना आसन नहीं" - बहुत खूब, अति सुंदर
ReplyDeleteभूलना सचमुच आसान नहीं .अतिसुंदर.
ReplyDeleteतू मेरी रूह की हमजाद है
ReplyDeleteउसमे सुरु से लेकर अंत तक आबाद है
बेहतरीन प्रस्तुति ...
wakayi
ReplyDeletebhoolna itna asaan nahi
uff....
Naaz
यह बात भी सच है कि भूलना कोई आसान बात नहीं है। इन्सान की पूरी जिन्दगी में यादों के सिवा रह भी क्या जाता है?
ReplyDeleteसुन्दर शेली सुन्दर भावनाए क्या कहे शब्द नही है तारीफ के लिए .
ReplyDeleteअति सुंदर बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteमेरा भी एक ब्लॉग है, मुझे आसा है कि आपको ये अच्छा ही लगेगा।
http://www.gopubisht.blogspot.com/