छत पे बैठ के
अपने बाल सुखा रही हो....
फ़र्ज़ करो उस दिन धूप का
रंग कुछ गुलाबी हो...!!
फ़र्ज़ करो
तुम बैठी बैठी
गहरी सोच में खो जाओ....
बल सुखाना छोड़ के
सर घुटनों पे रख के सो जाओ....!!!
फ़र्ज़ करो
तुम ख़त लिखने को
कागज कलम उठाती हो
ख़त लिखने से पहले
कागज की खुसबू
खूब लगती हो ...
फ़र्ज़ करो...
आखिती लफ्जों में आकर
कलम तुम्हारा रुक जाये
नजर तुम्हारी
धक् धक् करते
दिल की जानिब झुक जाये....
बेकल हो कर मन ए चाहे..
काश ए सपना अपना हो ...!!!
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