कभी
तुम भी नजर आओ
सुबह से
शाम तक हमको...
हजारो लोग
मिलते है......
निगाहों से
गुजरते है.....!!!
मगर
तुम ही नहीं मिलते...
बहुत बेचैन
फिरते हैं....
बड़े बेताब
रहते है....
दुआ को हाथ उठते है....
दुआ में
ये ही कहते है...
पलकों के शामियाने पे
तुम्हारी
उम्मीद कहती है...
लगी है
भीड़ लोगों की
मगर इस भीड़ में जाना
कभी
"तुम भी नजर आओ..."
प्यारी सी ख्वाहिश .. सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletei liked it.. :)
ReplyDeletebahut hi achcha likhte hai aap
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