सुनो.....!!!
सुनो नाराज मत होना,
गिले चाहे बहुत करना
रुलाना और ..बहुत लड़ना
मगर नाराज मत होना....!!!
कभी ऐसा जो हो जाये
कि..तुम्हारी
याद में खोकर
किसी लम्हे में ..मै... जाना ...
जो पागल जैसे
मै .होकर ....
बिना सूरत तेरी देखे ...
कभी
शब् में जो .... सो... जाऊं....
तो
सपनो में चले आना ......
मुझे अहसास
दिला देना ......
मगर नाराज मत होना....!!!
कभी ,
ऐसा भी जो हो जाये....
जिन्हें कहना जरूरी हो
वो मुझसे
गुरुर को
बीच में मत लाना....
मेरी आवाज बन जाना .....!!!
मगर ..सुनो...!!!
मगर ..सुनो...!!!
" कभी नाराज मत होना....!!!"
बहुत प्यार से भरा इसरार ..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना।
ReplyDeleteआहा!! बहुत निश्छल, शबनम सी सुन्दर रचना....
ReplyDeleteवाह!!
सादर बधाई...
वाह ...अति सुंदर !!! मन को छु गई कहीं ...नाराज मत होना ..बहुत खूब आनंद जी ...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
बहुत ही प्यारी रचना....
ReplyDeletedua hai apka pyar par u hi bharosa bana rahe.
ReplyDeletepyari prastuti.
wahh.
ReplyDeletebahut hi pyari or bahut hi sundar bhavpurn rachana hai...
ati uttam...
बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ हैं.....
ReplyDeleteमन के गहरे भाव समेटे हुये पंक्तियाँ।
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