जुदाई के
इस मौसम में ...
उतरती
शाम से पहले .....!!!
मेरी यख-बस्ता
आँखों मे…
ख़ामोशी
रख्श करती है ...!!!
तो तेरी
याद की पायल ...
यूँ मेरे कान में
आकर ...
मुसस्सल
छन -छनाती है ...!!!.
तो फिर
एकदम
ख़ामोशी का ....
तसस्सुल
टूट जाता है ...!!!
फिर ऐसे में
कोई "घूघती"...
.बडी ही ..बेसब्री से ..
बेचैन होके घुराए ....!!!
तो
यूँ महसूस ..होता है ..
मेरी हर
जफा को भूल कर…
तेरी डबडबाई
आँखों ने…
आज फिर
वादा तोडा है… .!!!
तू फिर बेचैन -
बेबस होके…
टूट ते .रिश्ते पे रोई है ...!!!
(घूघती ..पहाड़ी पंछी , घुराए -बिरह स्वर ...)
इस मौसम में ...
उतरती
शाम से पहले .....!!!
मेरी यख-बस्ता
आँखों मे…
ख़ामोशी
रख्श करती है ...!!!
तो तेरी
याद की पायल ...
यूँ मेरे कान में
आकर ...
मुसस्सल
छन -छनाती है ...!!!.
तो फिर
एकदम
ख़ामोशी का ....
तसस्सुल
टूट जाता है ...!!!
फिर ऐसे में
कोई "घूघती"...
.बडी ही ..बेसब्री से ..
बेचैन होके घुराए ....!!!
तो
यूँ महसूस ..होता है ..
मेरी हर
जफा को भूल कर…
तेरी डबडबाई
आँखों ने…
आज फिर
वादा तोडा है… .!!!
तू फिर बेचैन -
बेबस होके…
टूट ते .रिश्ते पे रोई है ...!!!
(घूघती ..पहाड़ी पंछी , घुराए -बिरह स्वर ...)
No comments:
Post a Comment