पागल
वो ...कर देती होगी
अब भी
जब वो हंसती होगी ......!!!
मुझको
तो बर्बाद किया है
खुद भी
शायद रोती होगी.....!!!
अरसा
बीता है बिन देखे
जाने
अब वो कैसी होगी....?
हाथो की रेखाओं में
एक
रेखा मेरी भी होगी.....!!!
जिस दिन
उससे मिलना होगा
शाम
भी ,उसके जैसी होगी.....!!
दुल्हन
बन कर वो इस दिल में
सोचो
कैसे लगती होगी.....?
जिन
उनको
अब तक तकती होगी ...!!!
सुन के
मेरा नाम वो शायद
एक
लम्हे को चौंकती होगी.....!!
""जाने वो कैसी होगी...?
कुछ भूल कर याद करने जैसी हैं आप की ये कविता |
ReplyDeleteदिल को छु गयी |
chhodo chinta kaisi hogi,jaisi bhi ho achhi hogi.
ReplyDeleterekhaon ka kam yahi hai,aaj ek kal dusri hogi.
यह कवीता नही दिल की आवाज हो ऐसा लगता है।
ReplyDeleteबहुत बढीया कवीता