Friday, April 8, 2011

इतना ही है कहना

रफाक्तों की हसीं रूत में  
मोहब्बत के
गुलाब सारे
वफ़ा की डोरी से
बांधे रखना ...!!

कि रास्तों में
बिखर न जाएँ....
इस रास्ते के
दो मुसाफिर....

खयाल रखना...
बिछड़ न जाएँ.....
ये झिलमिलाते
चाँद सितारे
ये मुस्कुराते
हुए फूल सारे .....!!!

इन्द्रधनुष से रंग
ये फितरत....
शफ्फाक की लाली 
सुबह का आँचल
गुलाबी मौसम 
ये उतरता बादल....!!! 

गवाह हैं 
मेरी मोहब्बत के   
फकत इतना ही है 
तुमसे कहना .....

"मुझे वफ़ा की 
सजा न देना 
याद रखना 
हमेशा मुझको 
कभी भी मुझको 
भुला न देना.....!!! "

1 comment:

  1. Very nice Anand ji..... bas itna hi kehna hai...
    god bless u...

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