बताओ....
बेहिसाब क्यूँ रूठ जाते हो....?
मैं कहता हूँ...
तुम मुझको
मनाओ तो....
अच्छा लगता है........!!!
वो कहती है.....
तुम्हारा दिल ...
मुझसे ...
आखिर क्यूँ नहीं भरता......??
मैं कहता हूँ....
मोहब्बत की
कोई हद नहीं होती......!!!
वो कहती है....
बताओ...
तुम्हे मैं ...
क्यूँ भा गई इतनी......??
मैं कहता हूँ..
मेरी जान....
वो कहती है...
अचानक मैं...
तुम्हे यूँ ही...
रुला दूं तो...?
मैं कहता हूँ...
मुझे डर है....
कि तुम....भी भीग जाओगी.....!!!
वाह - बहुत खूब, बहुत सुंदर और अंतिम पंक्तियाँ लाजवाब - जबरदस्त
ReplyDeleteबहुत भीगी भीगी सी नज़्म
ReplyDeleteवाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
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