सुनो ,
किसी,
नाजुक से लम्हे में
किसी दिन
शाम से पहले ...
अगर
चुपके से
तुम्हारे कान में.....
आकर ये कह दूँ ....कि
"मुझे तुमसे मोहब्बत है"
तो तुम नाराज न होना
फकत इतना ही कह देना...
मुझे,
बाँहों में लेके तुम ,
मेरी आँखों में
आँखे डाल के
मेरे बालों को सहला कर ....
फकत इतना ही कह देना.....
कि .
..तुम हो ही...प्यार के काबिल.!!!
यकीन जानो ,,,
जो तुम मुझ से....
अगर इतना भी कह दोगे
ये मुझको
गनीमत है.....!!!
तुम्हारा ये जो प्यार है
मुझे इस से मोहब्बत है
मुझे तुम से मोहब्बत है....
बहुत प्यारे एहसास ..सुन्दर और भाव पूर्ण रचना
ReplyDeletebeautiful post. THis poem touched my heart,
ReplyDeleteexcellent write!