उदास शामो की
सिसकियों में
भी जो मेरी
आवाज़ सुनना ..
तो बीते लम्हों को
याद करके
इन ही फिजाओं में
लौट आना ..!!!
तुम
आया करते थे
ख्वाब बनकर ...
कभी महकता
गुलाब बनकर ...
मै खुश्क होंठों से
जब भी पुकारूँ ...
इन्ही अदाओं में
लौट आना ...!!!!
मेरी वफाओं को
पास रखना ...
मेरी दुआओं को
पास रखना ..
मै खाली हाथों को
जब भी उठाऊँ ...
मेरी दुआओं में लौट आना ....!!!
सिसकियों में
भी जो मेरी
आवाज़ सुनना ..
तो बीते लम्हों को
याद करके
इन ही फिजाओं में
लौट आना ..!!!
तुम
आया करते थे
ख्वाब बनकर ...
कभी महकता
गुलाब बनकर ...
मै खुश्क होंठों से
जब भी पुकारूँ ...
इन्ही अदाओं में
लौट आना ...!!!!
मेरी वफाओं को
पास रखना ...
मेरी दुआओं को
पास रखना ..
मै खाली हाथों को
जब भी उठाऊँ ...
मेरी दुआओं में लौट आना ....!!!
बहुत ही सुन्दर कोमल भाव लिए रचना....
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